Not known Details About Shiv chaisa
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देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
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ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
पाठ पूरा more info हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन